CG News : क्या बस्तर में नक्सलियों का अंत संभव है? कितने नक्सली हुए गिरफ्तार और कितने मारे गए?

बस्तर, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का खात्मा करने के लिए सरकार ने नई नीति अपनाई है। 2024 में 600 नक्सलियों की गिरफ्तारी और 157 माओवादियों की मौत हुई है, जिससे नक्सलियों का मनोबल गिर रहा है

अक्टूबर 1, 2024 - 15:35
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बस्तर | छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख नक्सली गढ़, सरकार की नक्सल विरोधी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। साल 2024 की शुरुआत से, बस्तर पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, जिसमें 600 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी और 157 से अधिक माओवादियों को मारे जाने की जानकारी शामिल है। इन मुठभेड़ों में पुलिस ने अत्याधुनिक हथियार जैसे एलएमजी, एके-47 और इंसास भी बरामद किए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर सहित पूरे भारत से नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए 31 मार्च 2026 तक का समय निर्धारित किया है। इस समय सीमा के भीतर बस्तर में कई बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन किए गए हैं, जिनमें कई प्रमुख नक्सली नेताओं को मार गिराया गया है। बस्तर पुलिस इस निर्णायक लड़ाई में हर कदम सावधानी से उठा रही है, ताकि नक्सलवाद का खात्मा किया जा सके।

नक्सलियों का मनोबल गिर रहा है: क्या खत्म होगा माओवादी राज?

छत्तीसगढ़ में माओवादियों का मनोबल लगातार गिरता जा रहा है, और वे वर्तमान में बैकफुट पर हैं। प्रदेश सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि उन्हें या तो मुख्यधारा में लौटना होगा या फिर सफाए के लिए तैयार रहना होगा। हाल ही में, सुरक्षाबलों ने माओवादी बटालियन के हेडक्वार्टर पर कब्जा किया और उनके नेता हिड़मा के गांव पूर्वर्ती में नया कैंप स्थापित किया। यह क्षेत्र बीजापुर जिले से सटा हुआ है, जहां जवान कई नए कैंप स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। 30 जनवरी को टेकलगुड़ा में खोला गया कैंप इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो नक्सलियों के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई का संकेत है।

सीएम की नई नीति: 

प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में नक्सलवाद के खात्मे और नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए नई नीति पर काम करने की घोषणा की। इसके तहत, राज्य के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने 27 अगस्त को नक्सलियों की सरेंडर पॉलिसी में सुधार की बात कही, जिसमें सुविधाओं को जोड़ने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बेहतर जीवन सुविधाएं प्रदान की जाएं। बस्तर में स्थिति ऐसी है कि सरेंडर करने वालों को सात दिन के भीतर सुरक्षा के लिए गनमैन बनाया जा सकता है, जिससे उनकी नई जिंदगी की शुरुआत हो सके।

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