राजस्थान पुलिस: 35 लाख की रिश्वत लेते पकड़े गए थानेदार और हेड कांस्टेबल को निलंबित किया गया
जोधपुर हाई कोर्ट ने 35 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए थानेदार और हेड कांस्टेबल को निलंबित किया। कोर्ट ने सीबीआई जांच की आवश्यकता जताई और पुलिस की लापरवाही पर कड़ी आपत्ति जताई, यह बताते हुए कि विश्वास खत्म हो सकता है।
Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर हाई कोर्ट ने बासनी थाने में मादक पदार्थ तस्करी के आरोपी को छोड़ने के लिए 35 लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर सख्त रुख अपनाया। न्यायमूर्ति फरजंद अली ने आदेश दिया कि तत्कालीन बासनी थानाधिकारी जितेंद्र सिंह और वर्तमान विवेक विहार थानाधिकारी हेड कांस्टेबल स्वरूपराम विश्नोई को निलंबित किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में तेजी से कार्रवाई की जानी चाहिए।
सीबीआई जांच की मांग: उच्चतम न्यायालय में उठी आवाज
अधिवक्ता शिवप्रकाश भाटी के अनुसार, कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने की इच्छा जताई है। इसके साथ ही, कोर्ट ने शास्त्रीनगर थानाधिकारी देवेंद्र सिंह देवड़ा और बासनी थानाधिकारी मो. शफीक खान की भूमिका पर संदेह जताते हुए उनकी जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है, और आगामी सुनवाई की तारीख 17 अक्टूबर निर्धारित की गई है।
एसीबी और पुलिस कमिश्नर की जांच पर उठे सवाल:
कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और पुलिस कमिश्नर की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों और ACB के बीच मिलीभगत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है। न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि उसे दिखाई भी देना चाहिए। इसी कारण इस मामले की सीबीआई से जांच की संभावना पर विचार किया जा रहा है, ताकि आरोपों की गहराई से जांच की जा सके और न्याय की प्रक्रिया को मजबूत किया जा सके।
कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर कड़ी आपत्ति जताई
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य आरोपियों की अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करना है, न कि रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ना। न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस अधिकारी ऐसे कार्यों में लिप्त पाए गए, तो इससे समाज का कानून व्यवस्था पर विश्वास समाप्त हो जाएगा।
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