भारत हाइपरसोनिक मिसाइल पर कर रहा काम, प्रलय-निर्भय सहित कई क्रूज मिसाइलें बेड़े में होंगी शामिल

डीआरडीओ जल्द हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करेगा। सेना के महानिदेशक ए. कुमार ने बताया कि लंबी दूरी के रॉकेटों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिनाका रॉकेटों की रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है, जिससे क्षमताएं और बढ़ेंगी।

सितम्बर 28, 2024 - 08:20
 0  3
भारत हाइपरसोनिक मिसाइल पर कर रहा काम, प्रलय-निर्भय सहित कई क्रूज मिसाइलें बेड़े में होंगी शामिल

Hypersonic missile in India: डीआरडीओ आने वाले दिनों में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित करने की योजना बना रहा है। भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए. कुमार ने बताया कि लंबी दूरी वाले रॉकेटों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके तहत स्वदेशी पिनाका रॉकेटों की रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके अलावा, भारतीय सेना को प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल और निर्भय मिसाइल प्राप्त करने के लिए रक्षा अधिग्रहण से मंजूरी मिल चुकी है। 2000 किलोमीटर की रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर की रेंज वाली प्रलय जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों को जल्द ही सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा, जिससे देश की रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।

हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम जारी, प्रलय और निर्भय जैसी अत्याधुनिक मिसाइलें भी जल्द होंगी सेना में शामिल:

लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि डीआरडीओ का हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम तेजी से प्रगति पर है, जिसका उद्देश्य बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की सीमा, सटीकता और घातकता को बढ़ाना है। उन्होंने पिनाका रॉकेट सिस्टम की सराहना करते हुए इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता की कहानी बताया और इसके व्यापक उपयोग की पुष्टि की। डीआरडीओ इन मिसाइल कार्यक्रमों पर रिसर्च और डेवलपमेंट कर रहा है, जो भविष्य में सेना की ताकत को और बढ़ाएगा।

लोइटर म्यूनिशन और स्वार्म ड्रोन: खुफिया जानकारी जुटाने और लक्ष्यों पर सटीक हमला करने में मिलेंगी नई क्षमताएं

जनरल ए. कुमार ने गोला-बारूद के सुधारों की जानकारी साझा करते हुए बताया कि सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सेंसर फ्यूज्ड म्यूनिशन और कोर्स करेक्टेबल फ्यूज के विकास पर जोर दिया। इसके साथ ही, युद्ध के मैदान में खुफिया जानकारी और निगरानी को मजबूत करने के लिए लोइटर म्यूनिशन, स्वार्म ड्रोन, और रनवे इंडिपेंडेंट आरपीएएस जैसी तकनीकों की खरीदारी की जा रही है। अग्निवीरों के प्रशिक्षण और प्रशासनिक ढांचे को भी आधुनिक बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।


आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow