सुरक्षाबल की सक्रियता से नक्सलियों का आत्मसमर्पण, झीरम घाटी के हमले का खात्मा
नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा पर हालिया मुठभेड़ के बाद, 2013 के झीरम घाटी हमले में शामिल चार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इस कदम से नक्सली गतिविधियों में कमी आई है, जिससे सुरक्षा बलों की सफलताएं और क्षेत्र में शांति बढ़ी है।
जगदलपुर। नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा पर हालिया मुठभेड़ के बाद नक्सलियों में खलबली मची है। इस दबाव के परिणामस्वरूप, वर्ष 2013 में झीरम घाटी हमले में शामिल दरभा डिवीजन के चार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से एक प्रमुख नक्सली पांडु है, जिस पर एक लाख रुपए का इनाम था। यह घटना सुरक्षा बलों की प्रभावशीलता और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की सफलता को दर्शाती है।
आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी दरभा डिवीजन के कांगेर नेशनल पार्क एरिया कमेटी के सदस्य हैं, जिनमें एक महिला माओवादी भी शामिल है। बस्तर के पुलिस अधीक्षक सलभ सिन्हा ने इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण को स्वीकार करते हुए उन्हें आत्मसमर्पण योजना के तहत लाभ और प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है। यह कदम नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण सफलता है और अन्य नक्सलियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगा।
दरभा डिवीजन, जो 2005 से 2015 तक नक्सली गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा, 2016 के बाद से गतिविधियों में गिरावट देख रहा है। वरिष्ठ नक्सली नेताओं के मारे जाने और आत्मसमर्पण के कारण, क्षेत्र के अधिकांश नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इस परिवर्तन ने नक्सली गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी लाई है, जिससे सुरक्षा बलों के प्रयासों की सफलता साबित होती है। यह स्थिति क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
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