नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की आराधना: विधि, मुहूर्त, मंत्र और भोग की जानकारी

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। वे रक्त-बीज का संहार करती हैं, श्याम वर्ण की हैं, चार भुजाएं और खुले बाल हैं। गर्दभ पर सवार, वे भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं।

अक्टूबर 9, 2024 - 07:38
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नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की आराधना: विधि, मुहूर्त, मंत्र और भोग की जानकारी

शारदीय नवरात्रि सातवां दिन: मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि है, जो इस वर्ष 9 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। मां कालरात्रि, जो रक्त-बीज का संहार करने के लिए प्रकट हुईं, श्याम वर्ण की हैं और उनके चार भुजाएं हैं। खुले बालों में, वे काल के समान दिखती हैं और गर्दभ पर सवार होती हैं। उनकी कटार और व्रज से उनकी शक्ति का परिचय मिलता है, और वे अपने भक्तों को शुभ फल देती हैं।

नवरात्रि 2024: सातवें दिन का विशेष मुहूर्त और पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन, सौभाग्य योग सुबह 06:37 बजे तक रहेगा, इसके बाद शोभन योग प्रारंभ होगा। मां कालरात्रि की पूजा शोभन योग में की जाएगी। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:40 ए.एम. से 05:29 ए.एम. तक है, जो पूजा के लिए श्रेष्ठ है।

नवरात्रि का सातवां दिन: जानें दिन का चौघड़ियां मुहूर्त

1.लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 06:18 ए.एम. से 07:46 ए.एम. तक।

2.अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 07:46 ए.एम. से 09:13 ए.एम. तक।

3.शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 10:41 ए.एम. से 12:08 पी.एम. तक।

4.चर-सामान्य मुहूर्त: दोपहर 03:03 पी.एम. से 04:30 पी.एम. तक।

5.लाभ-उन्नति मुहूर्त: शाम 04:30 पी.एम. से 05:58 पी.एम. तक।

मां कालरात्रि पूजा मंत्र

1. क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: यह मंत्र मां कालरात्रि की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।

2. ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।
त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।

इस मंत्र में मां कालरात्रि की भव्यता और शक्तिशाली स्वरूप का वर्णन है, जो भक्तों को भयमुक्त करती हैं।

3. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

यह मंत्र मां कालरात्रि को सभी जीवों में स्थापित मानते हुए उनका स्तुति करता है, और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।

मां कालरात्रि को अर्पित करें: प्रिय भोग और उनका महत्व

नवरात्रि के सातवें दिन, मां कालरात्रि की पूजा करते समय गुड़ का भोग अर्पित करें। गुड़ का यह भोग मां दुर्गा को विशेष रूप से प्रिय है, और इसे अर्पित करने से वे प्रसन्न होंगी। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाएगी।

मां कालरात्रि की पूजा विधि:

नवरात्रि के सातवें दिन, सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि की पूजा करें। सबसे पहले, मां कालरात्रि को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद, उन्हें अक्षत, फूल, फल, कुमकुम, धूप, दीप, गंध, और नैवेद्य अर्पित करें। इस पूजा के दौरान मां कालरात्रि के मंत्रों का उच्चारण करें। अंत में, उन्हें गुड़ का भोग अर्पित करें और पूजा का समापन मां कालरात्रि की आरती से करें। यह विधि श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

मां कालरात्रि की पूजा के लाभ: 

1. मां कालरात्रि दुश्मनों का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। उनकी आराधना करने से व्यक्ति अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर सकता है।

2. अकाल मृत्यु और अनजाने भय से मुक्ति पाने के लिए भी भक्त मां कालरात्रि की पूजा करते हैं।

3. जिन लोगों को अदम्य साहस और पराक्रम की आवश्यकता होती है, उन्हें मां कालरात्रि की आराधना अवश्य करनी चाहिए।

मां कालरात्रि की आरती: 

कालरात्रि, जय-जय महाकाली,
जो काल के मुंह से बचाती हैं।

दुष्टों का संहार करने वाली,
महाचंडी के रूप में तुम प्रकट हुई।

तुम्हारा प्रभाव पृथ्वी और आकाश पर व्याप्त है,
महाकाली, तुमने सर्वत्र अपना प्रसार किया है।

तुम खडग और खप्पर धारण करती हो,
दुष्टों का लहू चखने वाली हो।

कलकत्ता तुम्हारा प्रतिष्ठान है,
जहां भी जाऊं, तुम्हारा नजारा देखने को मिलता है।

सभी देवता और मानव जाति,
तुम्हारी स्तुति गाती है।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा,
यदि कृपा करो, तो कोई भी दुःख नहीं रहेगा।

न कोई चिंता होगी बीमारी की,
न कोई ग़म या भारी संकट आएगा।

जो तुम्हारी शरण में आएगा,
महाकाली मां उसे कष्ट से बचाएंगी।

तू भी भक्त प्रेम से कह,
कालरात्रि मां तेरी जय।

कालरात्रि, जय-जय महाकाली,
कालरात्रि, जय-जय महाकाली।

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