सेक्स और विवाह: हाई कोर्ट का स्पष्ट संदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि दम्पति के बीच यौन इच्छाओं का विवाद ही मारपीट का कारण है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति-पत्नी के बीच यौन सुख की मांग आवश्यक है।
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। महिला ने अपने पति पर मारपीट, दहेज मांगने और अप्राकृतिक संबंध बनाने का दबाव डालने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दम्पति से पूछा कि यदि पति-पत्नी के बीच यौन सुख की मांग नहीं होगी, तो वे किससे ये सुख हासिल करेंगे? इस टिप्पणी के जरिए कोर्ट ने पति-पत्नी के संबंधों में यौन सुख की अहमियत को रेखांकित किया, यह स्पष्ट करते हुए कि वैवाहिक जीवन में ऐसे मुद्दे गंभीरता से लिए जाने चाहिए।
दम्पति की शादी 2015 में हुई थी। महिला ने आरोप लगाया कि पति और उसके परिवार ने दहेज की मांग की और मांग पूरी न होने पर उसके साथ मारपीट की। महिला ने यह भी कहा कि उसका पति शराबी है और वह उसे अप्राकृतिक सेक्स के लिए मजबूर करने की कोशिश करता है। इस मामले को लेकर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट का बयान:
कोर्ट ने केस खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के बयान और पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, यदि कोई मारपीट हुई है, तो वह दहेज की मांग के लिए नहीं, बल्कि आवेदक की यौन इच्छाओं के इनकार के कारण हुई। जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने स्पष्ट किया कि विवाद का मुख्य कारण पार्टियों के बीच सेक्स को लेकर असहमति है। उन्होंने कहा कि अगर पति-पत्नी एक-दूसरे से यौन सुख की मांग नहीं करेंगे, तो सभ्य समाज में उनकी इच्छाओं को पूरा करने का मार्ग क्या होगा। इस टिप्पणी से कोर्ट ने दांपत्य संबंधों में यौन सुख की अहमियत को रेखांकित किया।
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