नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की कथा: वैवाहिक जीवन में लाएं सुख और शांति

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन, व्यापार और धन में वृद्धि होती है। उनकी आराधना से सुख-सौभाग्य मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, उनका गौर वर्ण और दिव्य स्वरूप शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है।

अक्टूबर 10, 2024 - 07:12
 0  9
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की कथा:  वैवाहिक जीवन में लाएं सुख और शांति

Navratri 2024: Maa Mahagauri Vrat Katha: आज नवरात्रि का आठवां दिन है, जिसे मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। इस दिन भक्त लोग मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और कन्याओं को विशेष भोजन कराते हैं। मान्यता है कि इस दिन महागौरी की पूजा और कथा का पाठ करने से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस अवसर पर मां महागौरी से आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष महत्व है।

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा से भक्तों के बिगड़े काम सुधर जाते हैं और विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि मां महागौरी राहु ग्रह पर नियंत्रण रखती हैं, इसलिए राहु दोष से निवारण के लिए उनकी पूजा आवश्यक है। महागौरी की आराधना से असंभव कार्य संभव होते हैं, दुखों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मां महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त: 

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां महागौरी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:45 से 12:30 बजे तक रहेगा। इस विशेष समय में पूजा करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है, जिससे भक्तों को मां महागौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मुहूर्त में आराधना करने से सकारात्मक ऊर्जा और सफलता की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी की कथा: सुख, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक

पौराणिक कथा के अनुसार, मां महागौरी का जन्म हिमालय के राजा के घर हुआ, और उनका नाम पार्वती रखा गया। जब मां पार्वती आठ वर्ष की हुईं, तो उन्हें अपने पूर्वजन्म की घटनाओं की याद आने लगी। उन्होंने समझा कि वह पहले भगवान शिव की पत्नी थीं। उसी समय से उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया।

मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक निराहार और निर्जला तप किया। उनकी तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया। इससे मां महागौरी विद्युत की तरह चमक उठीं, और तभी से वे महागौरी के नाम से जानी जाने लगीं।

मां महागौरी का दिव्य स्वरूप: शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक

मां महागौरी का नाम ही उनके गौर वर्ण का प्रतीक है। वे अत्यंत सरल, मोहक और शीतल रूप में हैं। उनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी जाती है। मां के सभी वस्त्र और आभूषण सफेद होते हैं, इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा जाता है। देवी महागौरी चतुर्भुजी हैं; उनके दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और त्रिशूल है, जबकि बाएं हाथ में डमरू और वर मुद्रा है। उनका वाहन वृषभ है, जिससे उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।

आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow