गांधी जयंती विशेष: 60 वर्षीय बुजुर्ग की शिक्षा के प्रति अनूठी प्रतिबद्धता...

दीवाधार चूरपाल, 60, ने पिछले 10 वर्षों से सरगीबहली गांव के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी है। उनका समर्पण, गांधी जी के विचारों से प्रेरित, न केवल बच्चों का भविष्य संवार रहा है, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

अक्टूबर 2, 2024 - 10:00
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गांधी जयंती विशेष: 60 वर्षीय बुजुर्ग की शिक्षा के प्रति अनूठी प्रतिबद्धता...

पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद | देवभोग तहसील के सरगीबहली गांव में 60 वर्षीय बुजुर्ग दीवाधार चूरपाल ने पिछले 10 वर्षों से गांव के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने का अद्भुत अभियान शुरू किया है। इस साल, वह प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले 25 छात्रों के अलावा कक्षा 6 के तीन छात्रों को भी पढ़ा रहे हैं। बच्चे उन्हें प्यार से 'अजा' कहकर बुलाते हैं। 'अजा' की कक्षाएं दिन में दो बार सुबह 7 से 9 बजे और शाम 5 से 6 बजे होती हैं, जो नियमित रूप से चलती हैं।

हाल ही में साइकिल से गिरने के कारण दीवाधार का बायां पैर फैक्चर हो गया है, और उनके पैर में प्लास्टर लगा हुआ है। फिर भी, उनकी कक्षाएं एक दिन के लिए भी नहीं रुकी हैं। बारिश के दिनों में कभी-कभी कक्षाएं बाधित होती हैं, लेकिन चूरपाल का शिक्षा के प्रति समर्पण अडिग रहता है।

त्याग और सेवा: समाज के लिए एक प्रेरणा

दिवाधर चूरपाल ने 1965 में हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की और गांधी जी को अपना आदर्श माना। 1973 में नुआगुड़ा प्राथमिक शाला में शिक्षक के रूप में पोस्टिंग के बाद, उन्होंने समाज सेवा के लिए नौकरी छोड़ दी। वे 1979 में उसरीपानी के सरपंच चुने गए, जहां उन्होंने गांव में सड़क और बिजली लाई। 1982 में जनपद चुनाव लड़ा और 1988 तक उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने कई गांवों में स्कूल खोले और झखरपारा में हाईस्कूल की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पिछले 10 वर्षों से, चूरपाल बच्चों को पढ़ा रहे हैं, और वे कहते हैं, "शिक्षा का ज्ञान बांटने का काम मैं अंतिम सांस तक करूंगा।

दिखा ये बदलाव: समाज में नई रोशनी

आज भी गांव के सरकारी स्कूलों में अधिकांश छात्रों को अक्षर ज्ञान, पहाड़ा, और बारहखंडी जैसी बुनियादी शिक्षा नहीं मिल रही है, लेकिन सरगीबहली गांव के बच्चे इस मामले में आस-पड़ोस के बच्चों से बेहतर हैं। गांधी जी के विचारों से प्रेरित दीवाधार चूरपाल ने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनका यह प्रयास न केवल गांव के बच्चों का भविष्य संवार रहा है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गया है, जिससे शिक्षा की महत्वता का एहसास हो रहा है।

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