मोहन भागवत: भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा हमारी शक्ति का प्रतीक

डॉ. मोहन भागवत ने राजस्थान में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को उसकी ताकत से जोड़ा, हिंदू समाज की एकता का आह्वान किया, और हर नागरिक से विकास में योगदान देने की अपील की। कार्यक्रम में 3827 स्वयंसेवक शामिल हुए।

अक्टूबर 7, 2024 - 09:33
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मोहन भागवत: भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा हमारी शक्ति का प्रतीक

Rajasthan News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राजस्थान में एक कार्यक्रम में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को उसकी ताकत का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि समाज में सामाजिक समरसता, शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वावलंबन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। डॉ. भागवत ने बस्तियों में संपर्क स्थापित करने और समाज के अभावों को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, परिवार के स्तर पर समरसता, पर्यावरण संरक्षण, और स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने की बात कही, ताकि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।

हिंदू समाज की एकता: 

डॉ. मोहन भागवत ने हिंदू समाज को भाषा, जाति, और प्रांत के भेद मिटाकर संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज का निर्माण केवल व्यक्तिगत हितों से नहीं, बल्कि समग्र सामाजिक कल्याण से होता है, जिससे राष्ट्र की उन्नति में योगदान मिलता है। भागवत ने बताया कि संघ का कार्य यांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि विचार आधारित है, जिसका उद्देश्य समाज और व्यक्तियों का सशक्तिकरण है।

भारत की शक्ति: वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक

डॉ. मोहन भागवत ने भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को उसकी मजबूत ताकत से जोड़ा। उन्होंने कहा कि जब एक राष्ट्र मजबूत होता है, तो उसके नागरिक, चाहे वे देश में हों या विदेश में, सुरक्षित और सम्मानित महसूस करते हैं। भागवत ने प्रत्येक नागरिक से अपील की कि वे भारत की तेजी से बढ़ती विकास यात्रा में योगदान दें, ताकि देश का सम्मान और सुरक्षा सदा बरकरार रहे।

भारत: एक हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना

डॉ. मोहन भागवत ने दोहराया कि भारत स्वाभाविक रूप से एक हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द भले ही बाद में उभरा हो, लेकिन यह भारत के विभिन्न संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदुओं की विशेषता है कि उन्होंने हमेशा दूसरों को गले लगाया और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए संवाद और पारस्परिक सम्मान को महत्व दिया है। कार्यक्रम में राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत संघचालक जगदीश सिंह राणा, और अन्य वरिष्ठ संघ नेता उपस्थित थे, जबकि स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में 3827 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

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