पंजाब में पराली जलाने में 77% की कमी: क्या दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगेगा अंकुश?

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 77% की कमी आई है, जिससे दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। सरकार ने किसानों के लिए 80% तक की सब्सिडी पर ऋण योजना शुरू की है।

अक्टूबर 10, 2024 - 18:05
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पंजाब में पराली जलाने में 77% की कमी: क्या दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगेगा अंकुश?

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है, जो त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। हर साल, दिल्ली-एनसीआर में इस अवधि में एयर क्वालिटी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है, लेकिन पंजाब सरकार के अनुसार, इस साल पराली जलाने में 77% की कमी आई है। NASA के सैटेलाइट डेटा के अनुसार, 6 अक्टूबर 2023 तक केवल 196 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी समय में यह संख्या 845 थी।

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के जागरुकता अभियानों और प्रशासनिक प्रयासों के चलते किसान अब फसल प्रबंधन के बेहतर तरीकों का पालन कर रहे हैं। सरकार का मानना है कि इस कमी का सकारात्मक प्रभाव दिल्ली की हवा पर भी पड़ेगा, जिससे राजधानी में प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है। इस साल के आंकड़ों से स्पष्ट है कि किसान बेहतर विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं, जो वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

जिम्मेदार किसानों पर जुर्माना:

पंजाब सरकार ने पराली जलाने को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं, जिसमें 65 किसानों की पहचान कर ₹1.85 लाख का जुर्माना लगाया गया है। 6 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं, और अब तक ₹1.70 लाख की वसूली की गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) का मानना है कि यह गिरावट राज्य सरकार, कृषि विभाग और किसानों के जागरूकता अभियानों के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। राज्य में पराली प्रबंधन के लिए 8,000 मशीनें उपयोग में लाई जा रही हैं, जिससे लगभग 12.70 मिलियन टन पराली को खेतों से बाहर प्रबंधित किया जाएगा, जिसमें से कुछ चारे के रूप में इस्तेमाल होगी।

80% तक सब्सिडी पर नई ऋण योजना: किसानों को मिलेगी बड़ी राहत

पंजाब के सहकारी बैंकों ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 80% तक की सब्सिडी पर ऋण योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य किसानों को फसली अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी खरीदने में मदद करना है। यह योजना 802 शाखाओं में लागू की गई है, जिसमें प्राथमिक कृषि सहकारी सभाएं और प्रगतिशील किसान शामिल हैं। कृषि उपकरणों पर 80% सब्सिडी और बेलर व सुपरसीडर जैसे उपकरणों पर 50% सब्सिडी दी जाएगी।

किसान-उद्योग भागीदारी: कृषि और उद्योग का समन्वय

सीएम भगवंत मान ने बायो-ऊर्जा संयंत्रों के समर्थन के लिए उद्योगों और किसानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। इसके तहत, पराली के उपयोग वाले उद्योगों के लिए एक क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिससे फसली अवशेषों की आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ किया जा सकेगा। ऋण की वापसी की अवधि पांच साल होगी, जिसे 10 अर्धवार्षिक किश्तों में चुकाना होगा। यह पहल किसानों और उद्योगों के लिए नई संभावनाएं खोलेगी।

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